अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन ने दस विश्व स्वर्णिम कीर्तिमान बनाकर रचा नया इतिहास………

Largest Online Executive Committee Meeting of Women

Largest Distribution of Sewing Machines

First Virtual Trade Fair Organized By Women Organization

Most People Examined For Multiple Health Checkups

Largest Online Culture Upskill Program

First Quarterly Online Quiz For Women

Largest Matrimonial Biodata Exchange Accomplished In A Community

Largest Procession Accompanying Temple Tableau

Most People Performing Aarti With Lamps

Most People Pledged Against Food Wastage
अत्यंत हर्ष का विषय है कि लॉक डाउन के दौरान अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन की ओर से रचनात्मक कार्य किए जा रहे हैं | ऐसे में केवल एक माह में दो विश्व रिकॉर्ड बनाकर गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने में सफलता पाई | राष्ट्रीय महामंत्री मंजू बांगड़ ने बताया है की अखिल भारतीय माहेश्वरी महिला संगठन की ओर से 25 मई 2020 को आयोजित ऑनलाइन कर्म योग – हमारा प्रयास प्रशिक्षण कार्यशाला में ज़ूम एप द्वारा 27 प्रदेशो की 1000 महिलाओं को एक साथ प्रशिक्षण देकर यह गोल्डन रिकॉर्ड बनाया गया है
पदाधिकारी
राष्ट्रीय पदाधिकारी द्वादश सत्र
शंखनाद 2022
सशक्त नारी समृद्ध समाज
हमारा उद्देश्य – हमारी कार्य योजना
हमारी कार्य योजना
द्वादश सत्र 2020 – 2022
कार्य योजना
सकल संस्कारित समाज सेवा
कर्म के द्वारा लक्ष्य प्राप्ति “कर्मण्येवाधिकारस्ते” कर्म करने में ही तेरा अधिकार है,”मन में हो ये भाव- सेवा बने स्वभाव” इस भाव को मन मस्तिष्क में बिठाकर द्वादश सत्र के कार्यों की रूपरेखा बनाई है। प्रत्येक समिति में एक राष्ट्रीय प्रभारी, पांच आंचलिक सह प्रभारी, प्रदेश में संयोजक, जिले में सह संयोजक, स्थानीय में समिति सदस्य- इस प्रकार श्रृंखलाबद्ध संगठन का लाभ उठाते हुए अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन – माहेश्वरी समाज की बच्चियों, किशोरियों, महिलाओं के लिए व राष्ट्र हित में काम करना चाहती है।
१. व्यक्तित्व विकास एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण समिति (गुरुकुल): श्रृंखलाबद्ध संगठन के तहत सुदृढ़ संगठन की कार्ययोजना जन-जन तक पहुंचे, इसके लिए संगठन का विस्तार हो, वरिष्ठ पूर्व अध्यक्षों द्वारा नए सदस्यों को संगठन की जानकारी, नव निर्वाचित पदाधिकारियों को “मेरी टीम – मेरा हौसला – मेरी ताकत” की तर्ज पर विधान के अनुसार अधिकार व कर्त्तव्य की जानकारी देना, कुशल नेतृत्व एवं कार्यकर्ता के गुण, प्रोटोकॉल, रिपोर्टिंग, प्रभावी भाषण कला, स्व प्रबंधन, वाणी का संयम, टाईम मैनेजमेंट, व्यक्तित्व विकास, सकारात्मक सोच, मोटिवेशन, स्वयं बनिये एवं बनाइये आदि के बारे में सत्र के शुरू में ही कार्यशाला आयोजित करना।
2. ग्राम विकास एवं राष्ट्रीय समस्या निवारण समिति : इस हेतु 5 G प्रोग्राम – गाय, गंगा, ग्राम, गीता, गोविंद को ध्यान में रखते हुए कार्य करना। जैसे- गाय : जीव संरक्षण, गौशालाओं का संचालन व गोद लेना। गंगा: जल संरक्षण, जल सेवा, रेन वाटर हार्वेस्टिंग (बरसात का पानी रोको, धरती की प्यास बुझाओ), नदी सफाई, पर्यावरण संरक्षण हेतु वृक्षारोपण करना। ग्राम: ग्राम विकास ही सही मायने में राष्ट्र विकास है, एक ही गांव को गोद लेकर वहां पर जो माहेश्वरी परिवार निवास करते हैं उनसे संपर्क स्थापित करना, वहां उनको क्या परेशानियां हैं उन से अवगत होना, वहां के सरपंच के साथ मिलकर शिक्षा, स्वास्थ्य नव – तकनीकी का प्रशिक्षण दिलवाना, सरकारी जन-कल्याणकारी योजनाओं व सामाजिक ट्रस्टों की जानकारी देकर लाभान्वित करना, समस्याएं सुन कर समाधान की कोशिश करना जिससे माहेश्वरी समाज के इमेज बिल्डिंग हो।
गीता: श्रीमद् भागवत गीता जीवन जीने की राह दिखाती है, बच्चों में गीता पठन की इच्छा जगाना, भावार्थ समझाना, कंठस्थ कराना, प्रश्नोत्तरी करवाना, गीता के ज्ञान को जीवन में उतारने को प्रेरित करना। गोविंद : नर सेवा नारायण सेवा – गरीब, असहाय, निशक्त, मंदबुद्धि, वृद्धों की जरूरतों को सुनकर पूरा करने का प्रयास करना, समय दान देना, प्राकृतिक आपदाओं के समय बिना भेदभाव मदद करना व करवाना।अंशुमान भारत योजना (1अप्रैल २०१८) जैसी ही राशि योजनाओं से – आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को स्वास्थ्य बीमा मुहैया करवाने में मदद करना।
३. स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समरसता समिति : महिला स्वस्थ – परिवार स्वस्थ, महिलाओं का स्वास्थ्य डेटा बनाना, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बनाए रखने हेतु – नियमित हेल्थ चेकअप, शारीरिक व्यायाम, मेडिटेशन, योग साधना (भोर योग) की अलख जगाना, किशोरियों के लिए रूबेला HPV (ह्यूमन पेपिलोमा वायरस) आदि के टीके लगाने हेतु, सेल्फ हाइजीन आदि की जानकारी हेतु वार्ताएं व सिविल लगाना।
मेरा संभल मेरा परिवार : माहेश्वरी समाज में आर्थिक संपन्नता के साथ पारिवारिक विघटन बड़ा है, परिवारों का टूटना, बढ़ता अहम, घटती सहनशीलता, नई व पुरानी पीढ़ी के बीच विचारों का अंतर, विवाह संबंधों में देरी, दांपत्य में दूरियां और तलाक, कैरियर की अंधी दौड़, बुजुर्गो व बच्चों का अकेलापन एवं बढ़ते हादसे, सोशल मीडिया का नकारात्मक प्रभाव, युवा पीढ़ी का विदेश का आकर्षण आदि पर टॉक शो, विचार, गोष्ठी, नुक्कड़ नाटक, वाद विवाद आदि द्वारा मार्गदर्शन हेतु प्रयासरत रहना।
४. महिला अधिकार उत्थान सुरक्षा व सशक्तिकरण समिति : शत-प्रतिशत उच्च शिक्षा, व्यवसायिक दक्षता, व्यवसाय हेतु आर्थिक सहयोग देकर या विभिन्न ट्रस्टों के माध्यम से दिलवाकर आत्मनिर्भर बनाने में मदद करना। कानूनी जानकारी देकर महिला सुरक्षा व संबल प्रदान करना, घरेलू हिंसा, वसीयत, इनकम टैक्स आदि की जानकारी देने हेतु कार्यशालायें व कैंप आयोजित करना। सशक्तिकरण उच्च शिक्षा या उच्च पदों पर आसीन होना ही सशक्तिकरण नहीं है। सशक्तिकरण अर्थात हमें खुद को आत्मविश्वासी, अनुशासित बनाना ताकि हम अपनी गरिमा में रहकर स्वतंत्रता पूर्वक अपने जीवन के सही निर्णय लेकर हर क्षेत्र में सफलता के नए आयाम तय कर सकें। (स्वतंत्रता का अर्थ स्वच्छंदता, मनमानी या षड्यंत्र रचने का अधिकार नहीं है) कौन बनेगी मणिकार्णिका ? : बहनों की बौद्धिक, शारीरिक, कलात्मक, प्रदर्शनात्मक प्रतिभाओं को मुखरित होने का अवसर प्रदान कर उनकी प्रतिभा को श्रृंखलाबद्ध संगठन के माध्यम से अखिल भारतवर्षीय स्तर तक पहुंचाना, ख्याति – प्रसिद्धि दिलवाना आदि।
५. बाल विकास एवं किशोरी विकास समिति: (शैशव अवस्था: 8 से 12 वर्ष, किशोरी 12 से 18 वर्ष)
बालकों में संस्कार विकसित हो इसके लिए आदर्श बाल मंदिर की स्थापना, राष्ट्रीयता, देशप्रेम व चरित्र निर्माण की शिक्षा देना, बाल संस्कार शिविरों में प्रतिभा निर्माण, गायन, नृत्य, ऐतिहासिक महापुरुषों की वेशभूषा, प्रश्नोत्तरी आयोजित करें – “काबिल बने किताबी नहीं”
बेटी बचाओ के अंतर्गत 3 K : कन्या कल्याण कार्यक्रम: कन्या जन्मोत्सव, दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन एवं भोजन करवाना, तीन कन्याओं की माताओं का सम्मान करना, निराश्रित मूक बघिर बच्चियों को आश्रय प्रदान करना। अनाथ बच्चियों को आश्रय प्रदान करवाना।
5 P : प्रेम, पोषण, पठन, प्रतिभा, परण-बालिकाओं का संस्कारयुक्त सुपोषण, दुलार, शिक्षा में समान अवसर प्रदान करना, शारीरिक स्वास्थ्य की जागरूकता, स्पर्श – गुड टच व बेड टच की जानकारी (डरे नहीं प्रतिवाद करें) कलात्मक अभिरुचियों के लिए प्रेरित करना, खेलकूद को प्रोत्साहन, आत्मरक्षा प्रशिक्षण, कैरियर गाइडेंस, प्रशासनिक सेवाओं के लिए प्रोत्साहन (हर महिला में मैनेजमेंट का स्वाभाविक गुण होता है) अपनी संस्कृति, परंपरा आदि की वैज्ञानिक सत्यता के साथ जानकारी देना, समय पर विवाह करवाने में यथा योग्य मदद करना आदि।
राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिभाओं का सम्मान करना, महिला सेवा ट्रस्ट के माध्यम से शिक्षा, स्वावलंबन हेतु सहयोग दिया जाता है, प्रतिभा, परण, निःसहाय व निशक्त के लिए भी मदद की जाए यह भी प्रयास रहेगा।
६. विवाह संबंध सहयोग समिति : गठबंधन- विवाह समझौता नहीं पवित्र संस्कार है। गांवों व शहरों में विवाह सहयोग सेंटर खोलकर परिचय सम्मेलन करवाना। युवाओं व अभिभावकों के साथ संवाद कायम करना एवं कोई समस्या है तो निवारण के प्रयास करना, सामूहिक व सहकार विवाह आयोजित करना, विवाह पूर्व व पश्चात काउंसलिंग करके उचित मार्गदर्शन प्रदान करना ताकि सगाई या शादी टूटने जैसी समस्याएं ना आयें, पारिवारिक सामंजस्य बना रहे, प्रबुद्ध वक्ताओं द्वारा टॉक शो करवाना, प्री- वेडिंग शूट पर पूर्ण प्रतिबंध रखना। मीटिंग में कुछ समय बायोडाटा मिलान एवं खुला मंच हेतु भी समय रखेंगे, ताकि संगठन में ही विवाह सम्बन्ध जोड़ने में मदद मिले।
गांव के लड़कों के लिए विवाह समबन्धी समस्याओं के निदान के लिए एक अलग समिति बनायेंगे जो विशेष रूप से यही कार्य करेगी।
७. कंप्यूटर नेटवर्किंग एडवांस तकनीकी शिक्षा समिति : रखेंगे सब को अपडेट एडवांस टेक्नोलॉजी का उपयोग करते हुए वेबसाइट, यूट्यूब, फेस बुक, व्हाट्सएप, ई-मेल के जरिए अपनी गतिविधियों की जानकारी राष्ट्रीय स्तर से लेकर संगठन के अंतिम छोर यानी ग्रास रूट तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।हर स्थान के कार्यक्रमों की जानकारी, विश्लेषण, प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया द्वारा सब तक पहुंचेगा। कैशलेस डिजिटल ट्रांजैक्शन पेमेंट सिस्टम की जानकारी मीटिंगों में देना, डिजिटल रिपोर्टिंग करवाना आदि पर बल दिया जाएगा। सभी कार्यों की रिपोर्टिंग डिजिटल होगी एवं वर्ष में एक बार रहेगी अतः सभी को अपडेट रखने की जानकारी के कार्यक्रम बार-बार रखें। एक ऐसा ऐप तैयार करेंगे जिसमें रिपोर्टिंग के लिए मार्किंग की जाएगी। सोशल मीडिया का उपयोग मुख्य रूप से अपने कार्यों के लिए करें ना कि उसे केवल मनोरंजन का साधन माने।
८. साहित्य समिति – सामाजिक चिंतन- मनन समिति : वक्त से पहले वक्त की आहट को समझने के लिए सामाजिक चिंतन- मनन आवश्यक है। सामाजिक कुरीतियों, मान्यताओं, राष्ट्रीय समस्याओं पर, जीवन- उपयोगी विषयों पर, चिंतन-मनन-मंथन करके निराकरण व समाधान हेतु साहित्य की समस्त विधाओं में लेखन द्वारा समाज तक पहुंचाना, प्रतियोगिताएं आयोजित करके समाज में जागरूकता लाना व संदेश देना। कवियित्री सम्मेलन करवाना (विभिन्न विषयों पर) आदि।
९. पर्व एवं सांस्कृतिक समिति : अपनी धरोहर अपनी संस्कृति का संरक्षण अपनी सांस्कृतिक परंपराएं, विविधता में एकता की संस्कृति, दिलों को जोड़ते हुए रिश्तो को मजबूत बनाने वाले तीज – त्यौहार जिनमें वैज्ञानिक सत्य भी छुपा है, प्रचार-प्रसार समयानुकूल परिवर्तन, संरक्षण आदि से संबंधित कार्य करना, उत्साहवर्धन करना।
१०. स्वास्थ्य एवं आध्यात्म समिति : स्वयं का आंतरिक अध्ययन करना, धार्मिक आचरण का महत्व, धर्म ग्रंथों का पारायण, धार्मिक कृत्य, धर्म एवं अंधभक्ति के अंतर को समझाना, धर्म की मान्यताओं से युवा पीढ़ी को परिचित कराना, कार्यक्रमों, यात्रा, क्विज कांटेस्ट एवं पठन सामग्री द्वारा इसका विकास, प्रचार-प्रसार।
महिला संगठन के स्थाई प्रकल्प
१. माहेश्वरी महिला पत्रिका – जो कि संगठन का मुखपत्र है रंगीन कलेवर में द्विमासिक छपेगा।
२. अखिल भारतीय महिला सेवा ट्रस्ट – महिलाओं का, महिलाओं के लिए, महिलाओं द्वारा बनाया गया ट्रस्ट है जिसमें बालिकाओं एवं महिलाओं को शिक्षा एवं स्वावलंबन हेतु आर्थिक सहयोग दिया जाता है।
प्रस्तावित आगामी घोषणा (मुख्य कार्यक्रम)
१. 3 k – कन्या कल्याण कार्यक्रम के 5 p प्रोग्राम के अंतर्गत पठन एवं पोषण हेतु अखिल भारतीय महिला सेवा ट्रस्ट द्वारा सहयोग प्रदान किया जा रहा है इसी की अगली कड़ी में प्रेम, प्रतिभा, परण में भी सहयोग प्रदान करना या एक नया ट्रस्ट बनाना।
२. गठबंधन के अंतर्गत कम से कम 10 जोड़ों का निशुल्क सामूहिक विवाह करवाना। उसमें एक ₹100000 तक की दैनिक आवश्यकताओं की सामग्री प्रदान करना।
३. मेट्रो सिटी में जहां शिक्षारत किशोरियों के लिए महासभा की छात्रावास योजनाएं चल रही है उन्हीं के साथ कामकाजी युवतियों एवं महिलाओं के लिए भी आवास योजना के लिए महिला संगठन द्वारा सहयोग पर चर्चा व विचार विमर्श करना।
४. माहेश्वरी समाज द्वारा संचालित संस्थानों में माहेश्वरी समाज की जरूरतमंद महिलाओं को नौकरी आदि में प्राथमिकता देना।
५. समाज के बच्चों को माहेश्वरी समाज के स्कूल कालेज आदि में उनकी आर्थिक स्थिति के अनुसार निशुल्क या रियायत देना, प्रवेश में प्राथमिकता देना- इस हेतु समाज के शिक्षा संस्थानों को लिपिबद्ध करना व उसकी जानकारी विशेष रूप से क्षेत्र के लोगों तक पहुंचाना।
६. सीए, सीएस, डॉक्टर, एडवोकेट, एडमिनिस्ट्रेटिव सर्विसेस आदि महिलाओं के डेटा कलेक्ट करना।
७. संगठनों में समन्वय बनाए रखने के लिए एक समन्वय समिति का गठन किया जाएगा।
सकल संस्कारित समाज सेवा
कर्म द्वारा लक्ष्य प्राप्ति – कर्मण्येवाधिकारस्ते – कर्म करने में ही तेरा अधिकार है
द्वादस सत्र की 10 समितियां
१. व्यक्तित्व विकास एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण समिति- ट्रेनिंग प्रोग्राम
२. ग्राम विकास एवं राष्ट्रीय समस्या निवारण समिति- 5G प्रोग्राम- गाय, गंगा, ग्राम, गीता एवं गोविंद
३. स्वास्थ्य एवं पारिवारिक समरसता समिति- महिला स्वस्थ- परिवार स्वस्थ- मेरा संबल – मेरा परिवार
४. महिला अधिकार, उत्थान, सुरक्षा एवं सशक्तिकरण समिति – कौन बनेगी मणिकर्णिका
५. बाल विकास एवं किशोरी विकास समिति- संस्कार, चुनौतियां एवं परिवर्तन के साथ मनोवैज्ञानिक तरीके से प्रशिक्षण 3 k कन्या कल्याण कार्यक्रम 5p प्रेम, पोषण, पठन, प्रतिभा एवं परण
६. विवाह सम्बन्ध सहयोग समिति – गठबंधन
७. कंप्यूटर नेटवर्किंग एवं एडवांस तकनीकी शिक्षा समिति – रखेंगे सबको अपडेट
८. साहित्य समिति – सामाजिक चिंतन – मनन
९. पर्व एवं सांस्कृतिक समिति – अपनी धरोहर, अपनी संस्कृति का सरंक्षण
१० स्वाध्याय एवं आध्यात्म समिति
कर्मण्येवाधिकारस्ते- कर्म करने में ही तेरा अधिकार है
सृष्टि के महानायक- श्री कृष्ण
श्री कृष्ण 64 कला में दक्ष एक ऐसे दिव्य पुरुष हैं जिन्होंने हमारी संस्कृति, संगीत और शिल्प कला को गहराई से प्रभावित किया। श्रीकृष्ण को अलग-अलग लोगों ने अलग-अलग तरीके से देखा, समझा, जाना। हम अक्सर कृष्ण की बातें करते हैं…..
कभी सोचा कि आखिर कृष्ण है कौन ? ….. एक बहुत नटखट बच्चे ….. बांसुरी वादक….. बहुत अच्छे नर्तक…… दुश्मनों के लिए योद्धा….. चतुर राजनेता…. महायोगी …. आखिर कौन है कृष्ण…. कैसे है ये महानायक…..कृष्ण सिखाते हैं जीवन जीने की राह……
१. कर्म करने की प्रेरणा
कृष्ण का जीवन हमें कर्म करने की प्रेरणा प्रदान करता है। उन्होंने गौ पालन किया, राजनीति की, राज नायक के रूप में कार्य करते रहे, युद्ध किया, युद्ध भूमि में प्रेरक उपदेश दिए, कृष्ण के जीवन में जो प्रसंग आए वह साबित करते हैं कि उनके जीवन का एक-एक क्षण दुनिया के सन्दर्भों में उलझा रहा – वह सर्वव्यापी है।
२. जमीन से जुड़े रहे
ग्वालों के संग खेले, ग्रामीण महिलाओं से नाता जोड़ा, स्थानीय राजनीति में हिस्सा लिया, खुद एक बड़े क्षत्रिय और बाद में नरेश हुए लेकिन जनता के बीच घुल मिलकर रहने के अंदाज से उन्होंने कभी नरेशत्त्व का एहसास नहीं होने दिया, छोटे से छोटे व्यक्ति से भी मिलते थे और उनकी पुकार सुनते थे।
३. अत्याचार का विरोध
अत्याचार से संघर्ष में कृष्ण ने अपने सगे मामा कंस को भी नहीं छोड़ा मात्र 12 वर्ष की अल्पायु में मथुरा जाकर कंस का वध किया अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई और यदुवंशियों की रक्षा की। अतः अत्याचार नहीं सहना है यह बात कृष्ण से बेहतर कोई नहीं सिखा सकता।
४. धर्म रक्षक
श्री कृष्ण अपने स्वजनों और संबंधियों के हितैषी थे परंतु धर्म विरोधी होने पर किसी को भी क्षमा नहीं करते थे। कंस उनके मामा थे लेकिन अधर्मी होने के कारण श्रीकृष्ण ने स्वयं उनका वध किया। महाभारत के युद्ध में धर्म विरोधी कौरवों का साथ भी नहीं दिया।
५. सफल नायक
उन्होंने अपनी योग्यता से यादव एवं वृष्णिवंश का नेतृत्व किया। उनका यह सफल नायक का अद्भुत गुण, मनुष्य को शक्ति और नेतृत्व के केंद्र में रहकर भी सत्ता से विरक्त रहने, सात्विक भाव से जनकल्याण करने के लिए प्रेरित करता है।
६. चंचल स्वभाव
जीवन में विनोद- प्रियता का महत्व समझने के लिए कृष्ण सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। स्वभाव में चंचलता का अभाव जीवन को नीरस बना देता है। कृष्ण ने एक और दुष्टों का संहार किया वहीं दूसरी और नटखट स्वभाव नहीं छोड़ा। उनकी लीलाओं की कोई गिनती नहीं है। चपल आदतों से ही वह सबके प्यारे दुलारे थे।
७. ज्ञान और योग का अद्भुत संगम
कृष्ण एक महायोगी है। महाभारत युद्ध में युद्ध भूमि के बीच खड़े रहकर हताश अर्जुन को श्रीमद्भागवत गीता के उपदेश द्वारा कृष्ण ने मानव समाज को ज्ञान और योग की अनमोल निधि प्रदान की। उन्होंने लोगों को भक्ति का परम सिद्धांत प्रदान किया जिसमें कर्म, भावना और बुद्धि का बराबर महत्त्व था। इस उपदेश के माध्यम से कृष्ण ने सिखाया कि जीवन में ज्ञान और अध्यात्म, संकट एवं हताशा के क्षण में भी हम कर्मरत रह कर निष्क्रियता से बचे रह सकते हैं।
८. चारित्रिक गुण अतुलनीय
कृष्ण से सीखें कैसा भाई, मित्र, पुत्र हो- भागवत महापुराण की संपूर्ण कथा में श्री कृष्ण सच्चे मित्र, सहृदय प्रेमी, समर्पित पुत्र, आदर्श भाई और पति के रूप में प्रकट हुए। उनके चारित्रिक गुण अतुलनीय है। कृष्ण के चरित्र से प्रत्येक मनुष्य को चारित्रिक निष्ठा और अपनी अलग-अलग भूमिकाओं को निभाने की कला सीखनी चाहिए।
९. तटस्थ और स्थिर भाव
भगवान श्री कृष्ण सच्चिदानंद होने के साथ प्रत्येक परिस्थिति में तटस्थ नजर आते हैं। बचपन में राक्षसों का आतंक हो या गोपियों का आकर्षण, द्वारका का अद्भुत शासनकाल या कुरुक्षेत्र का रक्त रंजित युद्ध , सगे सम्बन्धियों का विध्वंस हो अथवा मित्र संबंधियों के साथ हंसी विनोद , श्री कृष्ण का स्वभाव जल में कमल के पत्ते की तरह विरक्त और तटस्थ है। सुख दुख के क्षणों में उनकी बुद्धि स्थिर रहती है यदि मनुष्य इस स्थिरता को प्राप्त कर ले तो जीवन से क्लेश और पीड़ा का अंत हो सकता है।
१०. त्याग एवं तपोमय जीवन…. खोया ही खोया फिर भी मानव सेवा करते रहे
भगवान श्री कृष्ण से जितनी चीजें छूटी उतनी किसी से भी नहीं छूटी…..जन्म लेते ही माता पिता, बचपन में संगी साथी, राधा छूटी, गोकुल- मथुरा छूटा…..जीवन भर कुछ न कुछ छूटता ही रहा। आज हमसे कुछ भी छूटता है तो हम टूटने लगते हैं और अवसाद में चले जाते हैं। जो कृष्ण को समझ लेगा वह कभी भी अवसाद में नहीं जायेगा। कृष्ण आनंद के देवता है। कुछ छूटने पर कैसे खुश रहा जा सकता है, यह भगवान श्रीकृष्ण से अच्छा कोई नहीं सीखा सकता।
इस सृष्टि के महानायक को कोटि-कोटि प्रणाम।
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है करते हो तुम कन्हैया मेरा नाम हो रहा है
कर्म द्वारा लक्ष्य प्राप्ति हेतु कटिबद्ध…..
श्री कृष्ण के जीवन से जुड़ी कुछ बातें
१. वैजयंती माला : राधा के द्वारा प्राप्त हुई।
२. अश्व : श्रीकृष्ण को सर्वाधिक प्रिय है। उनके रथ “गरुड़ध्वज” में 4 अश्व थे शैव्य, सुग्रीव, बलाहट, मेघपुष्प
३. पांचजन्य : शंखासुर नामक बलाढय असुर को जब यादव सेना ने निष्प्राण किया था तब रेती पर पड़े उसके शंख के प्रति श्रीकृष्ण आकर्षित हुए मथुरा लौटने पर उन्होंने शंख को माथे से लगाकर संदीपनी के चरणों में रख दिया तब आचार्य श्री ने इसे ‘पांचजन्य’ नाम दिया।
४. अजितंजय : आचार्य सांदीपनि ने श्रीकृष्ण को ‘अजितंजय’ नामक धनुष भेंट किया।
५. श्रीजी : श्री कृष्ण को यह संबोधन उनकी प्रिय पटरानी रुकमणी द्वारा दिया गया।
६. वासुदेव : यह उपाधि श्री कृष्ण को भीष्म पितामह द्वारा उनकी प्रथम भेंट के दौरान प्राप्त हुई क्योंकि दोनों ही जल पुरुष थे इसलिए उनके बीच विशेष संबंध था।
७. कृष्ण सोपान : द्वारिका की जब स्थापना हुई थी तब कृष्ण सोपान का निर्माण किया गया था जिसमें प्रारंभ में 25 सीढियाँ हुआ करती थी परंतु समय के साथ यह सीढ़ियां श्री कृष्ण जीवन में लोगों की महत्ता बढ़ने के साथ बढ़ती गई।
द्वादस सत्र की कार्यसमिति बैठकें :
ज्ञान योग, ध्यान योग, परम योग, कर्मयोग, भावयोग, भक्तियोग, फलयोग
कार्यकारिणी बैठकें एवं अधिवेशन
पांचजन्य, अजितंजय, कृष्ण सोपान, धर्मन्जय
डायरेक्टरी : सेवा सारथी
प्लानर : सेवा रथ
राष्ट्रीय अध्यक्षा : श्रीमती आशा माहेश्वरी
समितियां
द्वादश सत्र- समिति सदस्य- सूचि
अखिल भारतवर्षीय माहेश्वरी महिला संगठन के अंतर्गत
व्यक्तित्व विकास एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण समिति और बाल संस्कार एवं किशोरी विकास समिति के अंतर्गत परवरिश : संस्कार से संसार तक कार्यक्रम का शुभारंभ महेश वंदना से किया गया तत्पश्चात राष्ट्रीय महामंत्री
श्रीमती मंजू जी बांगड़ ने समाज हित में ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन प्रतिबद्धता हेतु शुभकामना संदेश प्रेषित किया पश्चात राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती आशा जी महेश्वरी ने स्वागत उद्बोधन दिया जिसमें उन्होंने उपस्थित अतिथियों को संस्था के कार्यो की जानकारी भी प्रदान की । लायंस क्लब इंटरनेशनल के पास्ट इंटरनेशनल डायरेक्टर लायन श्याम मालपानी जी ने लायंस क्वेस्ट के कार्यक्रमों की जानकारी दी ।उसके पश्चात श्रीमती शोभा जी भूतड़ा ने मुख्य वक्ता लायंस क्वेस्ट की प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुनीता जी मालपानी का परिचय दिया श्रीमती मालपानी ने बड़े ही सुंदर ढंग से एवं अत्यंत सरल भाषा में परवरिश कैसी होनी चाहिए विषय पर प्रकाश डाला।घर में कुछ नियम बनाए जिन्हे हम भी अपनाए।
बच्चों की कभी भी तुलना ना करें , उनकी labelling भी ना करें और ना ही उनसे किसी काम की जबर्दस्ती करें।
हम बच्चों को कम से कम टोका टाकी करें साथ ही उन्होंने बताया कि हमारे चेहरे पर हमेशा मुस्कुराहट होनी चाहिए ताकि बच्चे भी बदले में मुस्कुराए जब भी मौका मिले बच्चों की सराहना करें ,बच्चों के साथ खेलें ,उन्हें कहानी सुनाएं ये कुछ ऐसे टिप्स है जिन को फॉलो कर दादी नानी भी बच्चों के विकास में सहायक बन सकती हैं। उसके पश्चात व्यक्तित्व विकास एवं कार्यकर्ता प्रशिक्षण समिति की राष्ट्रीय प्रभारी जो की लायंस क्वेस्ट कार्यक्रम की नेशनल ट्रेनर भी हैं श्रीमती नम्रता बियानी ने कार्यक्रम की जानकारी प्रदान की बाल संस्कार समिति की ज्योति जी बाहेती एवं नीतू जी सोमानी ने प्रश्न उत्तर पूछ कर कार्यक्रम को आगे बढ़ाया अंत में आभार ज्ञापन का कार्य बाल संस्कार एवं किशोरी विकास समिति की प्रभारी श्रीमती निर्मला जी मारू ने किया। कार्यक्रम का संचालन व्यक्तित्व विकास समिति की उत्तरांचल सह प्रभारी डॉक्टर उर्वशी जी साबू ने किया।

राष्ट्रीय अंचल
आसाम
अध्यक्ष: श्रीमती वंदना सोमानी, गोहाटी
सचिव: श्रीमती पूनम मालपानी, गोलाघाट
कार्यसमिति सदस्य: श्रीमती सरस्वती मालपानी, जोराहट
बिहार– झारखंड
अध्यक्ष: श्रीमती प्रमिला आगीवाल, जमशेदपुर
सचिव: श्रीमती उषा बागड़ी, जमशेदपुर
कार्यसमिति सदस्य: श्रीमती निर्मला लड्ढा, मुजफ्फरपुर
कोलकाता
अध्यक्षा: श्रीमती निर्मला मल्ल, कोलकाता
सचिव: श्रीमती सीमा भट्टड, कोलकाता
कार्यसमिति: श्रीमती वर्षा मूँदडा, कोलकाता
नेपाल
अध्यक्ष: श्रीमती अनीता अटल, धरण, नेपाल
सचिव: श्रीमती सुधा सोनी, नेपाल
कार्यसमिति सदस्य: श्रीमती उमा राठी, नेपाल
पूर्वी राजस्थान
अध्यक्ष : श्रीमती कुंती मूंदड़ा, कोटा
सचिव : श्रीमती मंजू भराड़िया, भवानीमंडी
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती संतोष तोषनीवाल, कोटा
पश्चिमी राजस्थान
अध्यक्ष : श्रीमती रामेश्वरी भूतड़ा, जोधपुर
सचिव : श्रीमती कमला मूंदड़ा, जोधपुर
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती उर्मिला तापड़िया, जोधपुर
मध्य राजस्थान
अध्यक्ष : श्रीमती शांता धूत, अजमेर
सचिव : श्रीमती शशि लड्ढा
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती सुनीता रांदड़, किशनगढ़
उत्तरी राजस्थान
अध्यक्ष : श्रीमती सरिता बिहानी, श्रीगंगानगर
सचिव : श्रीमती सरोज लखोटिया, बीकानेर
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती मोनिका पचीसिया, बीकानेर
छत्तीसगढ़
अध्यक्ष: श्रीमती अमिता मूंदड़ा, राजनंदगांव
सचिव: श्रीमती भावना राठी, धमतरी
कार्यसमिति सदस्य: श्रीमती आशा डोडिया, जगदलपुर
गुजरात
अध्यक्ष: श्रीमती उमा काबरा, बड़ौदा
सचिव :श्रीमती मंजूश्री काबरा, वापी
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती उमा जाजू, सूरत
पूर्वी मध्य प्रदेश
अध्यक्ष: श्रीमती अनीता जावंदिया, बनखेड़ी
सचिव: श्रीमती रंजना बाहेती, भोपाल
कार्यसमिति सदस्य: श्रीमती प्रतिभा झंवर, सीहोर
पश्चिमी मध्य प्रदेश
अध्यक्ष: श्रीमती वीणा सोमानी, इंदौर
सचिव: श्रीमती उषा सोडाणी, उज्जैन
कार्यसमिति सदस्य: श्रीमती अरुणा बाहेती, खंडवा
दिल्ली
अध्यक्ष :श्रीमती श्यामा भांगड़िया, दिल्ली
सचिव :श्रीमती प्रभा जाजू, दिल्ली
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती लक्ष्मी बाहेती, दिल्ली
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती आशा रांदड़, दिल्ली
पंजाब/ हरियाणा
अध्यक्ष : श्रीमती सुमन जाजू , बहादुरगढ़
सचिव :श्रीमती सीमा मूंदड़ा, फरीदाबाद
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती पूनम राठी, भटिंडा
मध्य उत्तर प्रदेश
अध्यक्ष :श्रीमती प्रीति तोषनीवाल,कानपुर
सचिव :श्रीमती सीमा झंवर, कानपुर
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती सुजाता राठी, कानपुर
पश्चिम उत्तर प्रदेश
अध्यक्ष :श्रीमती मंजू हरकुट, मेरठ
सचिव :श्रीमती मोनिका माहेश्वरी, मोदीनगर
कार्यसमिति सदस्य :श्रीमती विनीता राठी, अलीगढ़
आन्ध्र प्रदेश
अध्यक्षा: श्रीमती रेणू सारडा, हैदराबाद
सचिव: श्रीमती उर्मिला साबू, हैदराबाद
कार्यसमिति: श्रीमती कलावती जाज़ू, हैदराबाद
कर्नाटक
अध्यक्षा: श्रीमती कमला तोषनीवाल, बीजापुर
सचिव: श्रीमती उमा भट्टड, बनहटी
कार्यसमिति: श्रीमती शोभा भूतडा, हुबली
महाराष्ट्र
अध्यक्षा: श्रीमती ज्योत्सना लाहोटी, जलगाँव
सचिव: श्रीमती अनसूया मालू,
कार्यसमिति: श्रीमती अरुणा लढ़ा, नासिक
कार्यसमिति: श्रीमती शांति मूँदडा, पुणे
मुंबई
अध्यक्षा: श्रीमती पूर्णिमा सारडा, मुंबई
सचिव: श्रीमती अनिता माहेश्वरी, मुंबई
कार्यसमिति: श्रीमती सुलोचना बलदुआ, मुंबई